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ललितपुर : वार्षिक शतक संकल्प उत्सव एवं देहदान अंगदान जन जाग्रति कार्यशाला सम्पन्न

 


ललितपुर।
मानवता, चिकित्सा शिक्षा और सामाजिक उत्तरदायित्व को एक सूत्र में पिरोने वाली देहदान जन-जागरूकता कार्यशाला का आयोजन बांसी में भव्य रूप से किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन डीएम के प्रतिनिधि एवं एडीएम (न्यायिक) अविनाश यादव ने किया। उन्होंने देहदान को महादान बताते हुए कहा कि यह ऐसा पुण्य कार्य है, जिससे एक व्यक्ति के देह त्याग के बाद भी समाज और चिकित्सा जगत को जीवन देने का अवसर मिलता है। उन्होंने कहा कि समाज में फैली भ्रांतियों को दूर कर देहदान और अंगदान के प्रति सकारात्मक वातावरण बनाना आज की बड़ी आवश्यकता है। कार्यशाला का आयोजन शान्ति देहदान चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में किया गया, जिसने अपने अल्पकालिक लेकिन प्रभावशाली एक वर्ष के कार्यकाल में उल्लेखनीय उपलब्धियां हांसिल की हैं। ट्रस्ट द्वारा अब तक 2 मानव देह एवं 100 से अधिक देहदान एवं अंगदान के संकल्प पत्र एकत्र किए जा चुके हैं। यह आंकड़ा न केवल संस्था की सक्रियता को दर्शाता है, बल्कि समाज में बढ़ती जागरूकता और विश्वास का भी प्रमाण है। कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने ट्रस्ट के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि सीमित संसाधनों और कम समय में यह उपलब्धि किसी भी सामाजिक संस्था के लिए प्रेरणादायक है। कार्यशाला में वक्ताओं ने विशेष रूप से इस तथ्य को रेखांकित किया कि शान्ति देहदान चैरिटेबल ट्रस्ट वही संस्था है, जिसने ललितपुर मेडिकल कॉलेज के मेडिकल छात्र-छात्राओं के पठन-पाठन और प्रशिक्षण हेतु 2 मानव देह तथा 61 देहदान के संकल्प पत्र मेडिकल कॉलेज प्रशासन को जमा कराए थे। इन मानव देहों के माध्यम से भविष्य के डॉक्टरों को वास्तविक शारीरिक संरचना को समझने का अवसर मिलता है, जो पुस्तकीय ज्ञान से कहीं अधिक प्रभावी होता है। चिकित्सा शिक्षा में देहदान की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए वक्ताओं ने कहा कि यदि समाज आगे आकर देहदान को स्वीकार करे, तो मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता में गुणात्मक सुधार संभव है। हालांकि, कार्यक्रम के दौरान एक संवेदनशील और गंभीर मुद्दा भी सामने आया। जिस संस्था ने मेडिकल कॉलेज के लिए इतना महत्वपूर्ण योगदान दिया, उसी संस्था के कार्यक्रम में मेडिकल प्रशासन की सहभागिता न होने पर मंच से अफसोस व्यक्त किया गया। वक्ताओं ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आमंत्रण पत्र में स्पष्ट रूप से प्रधानाचार्य को अध्यक्ष, मुख्य चिकित्सा अधिकारी को विशिष्ट अतिथि तथा मुख्य चिकित्सा अधीक्षक को विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित किए जाने के बावजूद कोई भी प्रतिनिधि कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हुआ। इसे सामाजिक सरोकारों के प्रति उदासीनता बताते हुए ऐसे व्यवहार की निंदा की गई। कार्यशाला में मौजूद वक्ताओं ने कहा कि देहदान जैसे संवेदनशील विषय पर प्रशासन, चिकित्सा विभाग और सामाजिक संस्थाओं के बीच समन्वय अत्यंत आवश्यक है। यदि सभी पक्ष मिलकर कार्य करें, तो समाज में फैली गलत धारणाओं को दूर किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि मेडिकल प्रशासन की उपस्थिति से कार्यक्रम को और अधिक बल मिलता तथा समाज में सकारात्मक संदेश जाता, लेकिन उनकी अनुपस्थिति से एक गलत संकेत गया है, जिस पर आत्ममंथन की आवश्यकता है। कार्यक्रम में देहदान और अंगदान की प्रक्रिया, कानूनी पहलुओं और धार्मिक भ्रांतियों पर विस्तार से चर्चा की गई। वक्ताओं ने स्पष्ट किया कि देहदान पूर्णत: कानूनी और सम्मानजनक प्रक्रिया है, जिसमें दानदाता की गरिमा और भावनाओं का पूरा ध्यान रखा जाता है। उन्होंने बताया कि देहदान करने वाले व्यक्ति का अंतिम संस्कार चिकित्सा उपयोग के बाद पूरे सम्मान के साथ किया जाता है। साथ ही यह भी बताया गया कि अधिकांश धर्मों में देहदान और अंगदान को मानव सेवा के रूप में स्वीकार किया गया है। एडीएम ने कहा कि प्रशासन समाजहित के ऐसे प्रयासों के साथ खड़ा है और भविष्य में भी देहदान जनजागरूकता से जुड़े कार्यक्रमों को सहयोग प्रदान किया जाएगा। उन्होंने आम नागरिकों से आह्वान किया कि वे आगे आकर देहदान और अंगदान का संकल्प लें, ताकि चिकित्सा शिक्षा और शोध को मजबूती मिल सके। उन्होंने यह भी कहा कि एक व्यक्ति का लिया गया यह संकल्प अनेक जिंदगियों को दिशा दे सकता है। कार्यक्रम में जिले के अनेक गणमान्य नागरिक, वरिष्ठ समाजसेवी, शिक्षाविद् और सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे। सभी ने एक स्वर में शान्ति देहदान चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रयासों की प्रशंसा की और इसे समाज के लिए एक अनुकरणीय मॉडल बताया। समाजसेवियों ने कहा कि देहदान जैसे विषय पर लगातार जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए, ताकि लोगों के मन से भय और संकोच दूर हो सकें। कार्यशाला के अंत में उपस्थित लोगों को देहदान एवं अंगदान के संकल्प पत्र भी भरवाए गए। कई लोगों ने मौके पर ही संकल्प लेकर समाज के प्रति अपने दायित्व का निर्वहन किया। आयोजकों ने विश्वास जताया कि आने वाले समय में और अधिक लोग इस मुहिम से जुड़ेंगे और बांसी सहित पूरे जिले में देहदान को लेकर सकारात्मक वातावरण बनेगा। कुल मिलाकर, बांसी में आयोजित यह देहदान जनजागरूकता कार्यशाला न केवल एक सामाजिक आयोजन रही, बल्कि इसने प्रशासनिक सहभागिता, सामाजिक संगठनों की भूमिका और चिकित्सा शिक्षा की जरूरतों को एक साथ उजागर किया। जहां एक ओर शान्ति देहदान चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रयासों ने समाज को नई दिशा देने का कार्य किया, वहीं दूसरी ओर मेडिकल प्रशासन की अनुपस्थिति ने कई सवाल भी खड़े किए। इसके बावजूद, कार्यक्रम ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि देहदान महज एक दान नहीं, बल्कि आने वाली पीढिय़ों के लिए जीवन और ज्ञान का अमूल्य उपहार है। इस दौरान विशिष्ट अतिथि नीमा संजय मिक्की रहे, जबकि अध्यक्षता डा.पूरन सिंह निरंजन ने किया। कार्यक्रम का संयोजन ट्रस्ट संस्थापक खुशालचन्द्र साहू ने किया। आयोजन में ट्रस्ट कमेटी के सुषमा साध, सामंत सिंह, रामस्वरूप पटेल, अनिल साहू, धनंजय यादव अखिलेश साहू, परवेज पठान, आशीष साहू, हरीश कपूर टीटू, सौरभ यादव, डा.के.एस.सिंह यादव, वंदना मेहता, गीता मिश्रा, लक्ष्मी नारायण विश्वकर्मा जी, जे.पी. यादव, अमित लखेरा, देवेन्द्र साहू, समाज सेवी रतीराम पटेल, आधार सिंह यादव, हरिकिशन झां, कृष्णपाल सिंह, प्रीति परोचे, राकेश सेन, गौरीशंकर सेन, जैन समाज के प्रतिनिधि दाऊ अनैारा, अनिल अंचल, छोटे पहलवान, राजेंद्र थनवारा, सुरेश बाबू एड., डा.देवेंद्र गुढ़ा, सौरभ जैन एड., आदिनाथ सेवा संघ, विद्यासागर व्यायाम शाला, बहुवाली सेवा संघ, कौमी एकता सेवा समिति, बुन्देलखण्ड विकास सेना, अखिल भारतीय यादव महासभा, नन्दबाबा जनसेवा ट्रस्ट रहे। संचालन राजपाल सिंह फौजी ने किया।

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